मानसिक स्वास्थ्य

1.1 खोखर व अन्य कुछ शोधकर्ताओं ने वर्ष 2012 में एचआईवी +/ एड्स रोगियों की हीनता और असुरक्षा की भावना के प्रबंधन में यज्ञ चिकित्सा के प्रभावों का पता लगाने हेतु Inferiority And Insecurity Questionnaire में प्राप्त अंकों के आधार पर 12 से 40 वर्ष की आयु के 80 एचआईवी + / एड्स संक्रमितों को चुना। इन संक्रमितों को यादृच्छिक (Randomly) (randomly) रूप से दो समूहों, नियंत्रण समूह (N = 40, 20 पुरुषों और 20 महिलाओं) और प्रायोगिक समूह (N = 40, 20 पुरुषों और 20 महिलाओं) में बांटा गया। प्रायोगिक समूह के रोगियों को छह महीने के लिए प्रतिदिन लगभग एक घंटे यज्ञ चिकित्सा पद्धतियों से अवगत कराया गया। प्राप्त आंकड़ों का सांख्यिकीय विश्लेषण टी-टेस्ट के माध्यम से किया गया।
इस शोध से पता चलता है कि यज्ञ चिकित्सा रोगियों की हीनता और असुरक्षा की भावना के स्तर को आश्चर्यजनक रूप से कम कर देती है।

Khokhar et al., (2012)

1.2विकास कुमार व अन्य शोधकर्ताओं ने वर्ष 2019 में Galvanic Skin Response (GSR) संकेतों में यज्ञ के दौरान गायत्री मंत्र के प्रभावों का पता लगाने हेतु 17 से 24 आयु वर्ग के 12 स्वयंसेवी छात्रों (पुरुषों) का चयन किया, जो यज्ञ क्रिया से अनभिज्ञ थे। भावनात्मक परिवर्तनों के लिए GSR सिग्नल पैटर्न को बायोफीडबैक मशीन के माध्यम से मापा गया। इस अध्ययन से पता चलता है कि यज्ञ के दौरान गायत्री मंत्र के उच्चारण के साथ आहुति देने से GSR संकेतों में उल्लेखनीय कमी आती है।

Kumar, et al., (2019)

1.3नीलाचल और पीयूष त्रिवेदी ने वर्ष 2020 में तनाव और चिंता के स्तर पर यज्ञ चिकित्सा के प्रभाव का पता लगाने हेतु 30 दिनों के लिए 4 रोगियों जिनमे कि Biofeedback Galvanic Skin Response (GSR) और Sinha’s Comprehensive Anxiety Test (SCAT) का उपयोग करके तनाव और चिंता के स्तर का मूल्यांकन किया गया। परिणाम ने प्रतिभागियों की दोनों स्थितियों में उत्साहजनक सुधार दिखाया। इस प्रकार यह अध्ययन तनाव और चिंता की मानसिक स्थितियों का मुकाबला करने के लिए दैनिक जीवन में यज्ञ की उपयोगिता को दर्शाता है।

Nilachal & Trivedi (2019)