मिर्गी रोग

1.1 वर्ष 2015 में बंसल, पी. व अन्य शोधकर्ताओ ने मिर्गी की रोकथाम और प्रबंधन में यज्ञ चिकित्सा के प्रभावों का पता लगाने हेतु अध्ययन किया। मेटाडेटा विश्लेषण से पता चला कि हवन के घटकों में कई वाष्पशील तेल होते हैं जो विशेष रूप से एक या दूसरे तंत्र क्रिया के माध्यम से मिर्गी के लिए उपयोगी होते हैं। आग के उच्च तापमान के कारण इन तेलों के वाष्प नासिका मार्ग से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में प्रवेश करते हैं। शोध कहता है कि हवन करने की दैनिक दिनचर्या शरीर में चिकित्सीय घटकों को बनाए रख सकती है और मिर्गी को रोकने में मदद कर सकती है।

Bansal, et. al., (2015)

1.2 मिर्गी के दौरे में यज्ञ चिकित्सा के प्रभाव का पता लगाने हेतु बाथम व अन्य शोधकर्ताओं ने वर्ष 2018 में एक 65 वर्षीय मिर्गी रोगी, पूर्व में जिसका डॉक्टरी निदान के अनुसार स्मृति लोप (Memory Loss), उच्च रक्तचाप (Hypertension) और मधुमेह टाइप 2 (Type 2 Diabetes) का इतिहास भी था। एलोपैथिक दवा लेने के 3 वर्षों के दौरान रोगी को प्रतिवर्ष लगभग 8 दौरे पड़ते थे। मौखिक अभिव्यक्ति के माध्यम से रोगी ने बताया कि एलोपैथिक दवा के साथ ~3-5 वर्ष के लिए निरंतर यज्ञ-चिकित्सा भी करना शुरू किया, जिसके बाद पहले साल में केवल सोते समय 2-3 बार दौरे पड़े और उसके बाद कोई दौरा नहीं पड़ा।
इस प्रकार वर्तमान अध्ययन मिर्गी के दौरे के उपचार में यज्ञ चिकित्सा की प्रभावशीलता के बारे में उत्साहजनक परिणाम दिखाता है।

Batham et al., (2018)