मधुमेह

1.1 वर्ष 2020 में रस्तोगी व व अन्य कुछ शोधकर्ताओं ने मधुमेह रोगियों पर अग्निहोत्र के दौरान मंत्र जाप के साथ-साथ यज्ञोपैथी उपचार यानी धूम नस्य के प्रभाव का आकलन करने हेतु आयोजित किया गया, जिन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया। एक समूह (एन = 2) को दवा के द्वारा तथा दूसरे समूह (एन = 4) को बिना दवा के द्वारा मधुमेह का निदान किया गया। अग्निहोत्र की अवधि धूम नस्य के उपचार के लिए उनकी आवश्यकता के अनुसार सामान्य और विशेष समिधा के साथ प्रतिदिन 40-45 मिनट की गयी। 6 महीने की यज्ञोपैथी के बाद दोनों समूहों ने ग्लूकोज के स्तर में सुधार दिखाया। इस अध्ययन के परिणामों ने मधुमेह रोगियों के लिए यज्ञोपैथी के महत्व का सुझाव दिया।

Rastogi et al., (2020)

1.2वर्ष 2017 में पटेल व अन्य कुछ शोधकर्ताओं ने टाइप II मधुमेह मेलिटस (T2DM) के प्रबंधन में हर्बल औषधीय-धुएं (धूम-नस्य) के प्रभावों का पता लगाने हेतु 6 वर्षों से T2DM से पीड़ित एक रोगी को सुबह और शाम 24 जड़ी-बूटियों से बनी 4 अगरबत्तियों को जलाकर और गहरी सांस के माध्यम से लगभग 45 मिनट तक औषधीय-धुएं को ग्रहण करने के लिए कहा गया। रोगी को इस प्रक्रिया को कम से कम 10 सप्ताह तक जारी रखना था। उपचार के 13 सप्ताह के बाद HbA1C का स्तर 7 से नीचे आ गया जोकि पहले 10 तक पहुंच गया था और साथ ही रोगी ने बार-बार भूख लगना, जलन आदि जैसे संबंधित लक्षणों में भी राहत का अनुभव किया।
इस प्रकार के अध्ययन ने टाइप II डायबिटीज मेलिटस (T2DM) के प्रबंधन में हर्बल औषधीय की प्रभावशीलता के बारे में उत्साहजनक परिणाम दिखाए।

Patel et al., (2017)

1.3 पाल एवं अन्य कुछ विद्वानों ने वर्ष 2020 में मधुमेह रोगियों में Blood Glucose के स्तर को कम करने में यज्ञ चिकित्सा के प्रभाव का पता लगाने हेतु मधुमेह के 10 रोगियों को 13 दिनों तक दिन में दो बार यज्ञ चिकित्सा दी गई और उनके भोजन से पहले और बाद में रक्त में शर्करा स्तर (Glucose Level) और HbA1C को मापा गया। इन सभी में Blood Sugar का स्तर यज्ञ चिकित्सा के बाद कम पाया गया।
वर्तमान अध्ययन ने मधुमेह के प्रबंधन में यज्ञ चिकित्सा को एक संभावित सहायक और वैकल्पिक समाधान के रूप में इंगित किया है।

Patel, et al., (2020)