by admin | मई 30, 2022 | Articles
वसोः पवित्रमसि द्यौरसि पृथिव्यसि मातरिश्वनो घर्मोऽसि विश्वधाऽअसि।परमेण धाम्ना दृंहस्व मा ह्वार्मा ते यज्ञपतिह्वार्षीत्।। अर्थात्: हे विद्यायुक्त मनुष्य! तू जो यज्ञ शुद्धि का हेतु है। जो विज्ञान के प्रकाश का हेतु और सूर्य की किरणों में स्थिर होने वाला, वायु के साथ...
by admin | मई 30, 2022 | Articles
स्वामी दयानन्द जी ने यजुर्वेद भाष्य तथा स्वरचित अन्य ग्रन्थों में यज्ञसामग्री के चार गुणों का उल्लेख किया है- अग्निहोत्रमारभ्याश्वमेधपर्यन्तेषु यज्ञेषु सुगन्धिमिष्टपुष्टरोगनाशकगुणैर्युक्तस्य सम्यक् संस्कारेण शोधितस्य द्रव्यस्य वायुवृष्टिजलशुद्धिकरणार्थमग्नौ होमो...
by admin | मई 30, 2022 | Articles
येन सदनुष्ठानेन सम्पूर्णविश्वं कल्याणं भवेदाध्यात्मिकाधिदैविकाधिभौतिकतापत्रयोन्मूलनं सुकरं स्यात् तत् यज्ञपदाभिधेयम्। जिस सदनुष्ठान से सम्पूर्ण विश्व का कल्याण हो, तथा आध्यात्मिक-आधिदैविक और आधिभौतिक तीनों तापों का उन्मूलन सरल हो जाये, उसे यज्ञ कहते हैं। येन...
by admin | मई 30, 2022 | Articles
घृताहवन दीदिवः प्रतिष्म रिषतो दह। अग्ने त्वं रक्षस्विनः।। घी से प्रदीप्त यज्ञाग्नि, हमारे प्रतिकूल शत्रुओं और दोषों को सर्वथा भस्म करने में समर्थ है। जिघम्र्यग्निं हविषा घृतेन प्रतिक्षियन्तं भुवनानि विश्वा।। सम्पूर्ण लोकों का आधार, प्रत्येक पदार्थ में विद्यमान अग्नि...
by admin | मई 30, 2022 | Articles
न तं यक्ष्मा अरुन्धते नैनं शपथो अश्नुते। यं भेषजस्य गुल्गुलोः सुरभिर्गन्धो अश्नुते।। -अथर्व.१९.३८.१ जिस व्यक्ति को गुग्गुल औषध की सुगन्ध प्राप्त होती है, उसे न टी.बी. (ट्यूबरकुलोसिस) आदि रोग बाधित करता है, न ही शाप, मानस रोग आदि । घृतगुग्गुलुहोमे च...
by admin | मई 30, 2022 | Articles
1. यज्ञ की अग्नि पदार्थों को सूक्ष्म कर देती है, सूक्ष्मीकरण से पदार्थ की शक्ति असंख्य गुना बढ़ जाती है एवं औषधि का वह शक्तिशाली अंश उभर आता है जिसे कारणतत्व कहते हैं। स्थूल औषध की तुलना में सूक्ष्म के सामथ्र्य का अनुपात अत्यधिक बढ़ा चढ़ा होता है। -(हनीमैन के अनुसार)...